खुदा तआला की तनजिह
अल्लाह तआला जिस्म व जिसमानियात से पाक है।यानी न वह जिस्म है,न उसमें वह बातें पाइजाती हैं जो जिस्म से ताल्लुक रखतीं हैं बल्कि यह उसके हक में मुहाल है लिहाजा वह जमान व मकान,तरफ व जिहत,शक्ल व सुरत,वज़न व मिकदार,ज़ियादत व नुकसान,होलूल यानी दो चीजों का मिल्कर एक हो जाना, व इत्तेहाद ,तवालुद व तनासुल,हरकत व इन्तेकाल ,तगययुर व तबददुल वगैरहा जुमला औसाफ व अहवाले जिस्म से मुनजजह व बरी है,और क़ुरआन व हदीस में जो बाज़ अलफाज ऐसे आएं हैं मसलन यद हाथ वजह चेहरा रिजल टांग जहिक हंसना वगैरहा जिनका जाहिर जिस्मिययत पर दलालत करता है उनके ज़ाहिरी माना लेना गुमराही व बद मज़हबी है ।अल्लाह तआला को बुढहौ बोलना कुफर है ।
बाज लोग कहते हैं कि उपर वाला जैसा चाहे गा वैसा होगा, और कहते हैं उपर अल्लाह है नीचे तुम हो,उपर अल्लाह है नीचे पंच हैं यह सब जुमले गुमराही के है मुसलमानों को इनसे बचना बहुत जरूरी है, अल्लाह मियां नहीं कहना चाहिए कि मना है ।
No comments:
Post a Comment