इस्लामी कल्मे मुतरजमः
अव्वल कलमा:इलाहा इल्लल्लाहु मुह़म्मदुर्रसुलल्लाह ।
अल्लाह तआला के सिवा कोइ इबादत के लायक नहीं,मुहम्मद सल्लल्लाहो अलौहि वसल्लम अल्लाह तआला के रसूल हैं ।दुसरा कल्मा शहादत:
अशहदु अल्लाइलाहा इल्लल्लाहु व अशहदु अन्न मुहम्मदन अबदुहू व रसूलुहू ।मैं गवाही देता हूँ कि ख़ुदाए तआला के सिवा कोइ इबादत के लायक नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व सल्लम उसके बंदे और उसके रसूल हैं ।
तीसर कल्मा:
सुबह़ानल्लाहि वल्ह़म्दु लिल्लाहि व ला इलाहा इल्लल्लाहु व अल्लाहुअक्बर व लाह़ौल व ला क़ुव्वत इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अज़ीमखुदाए तआला हर ऐब से पाक है और सब तारीफ़ अल्लाह तआला के लिए है और खुदाए तआला के सिवा कोइ इबादत के लायक नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है और ताक़त व क़ुव्वत देने वाला सिर्फ खुदाए बुज़रुग व बर तर है ।
चौथा कल्मा:
लाहा इल्लल्लाहु वह़दहू लाशरीक लहू लहुल्मुल्कु व लहुल्ह़म्दू युह़यी व युमीतु वहुव ह़य्युल लायमूतु बियदिहील्ख़ैर व हुव अला कुल्लि शैइन क़दीर ।अल्लाह के सिवा कोइ माबूद नहीं वह अकेला है कोइ उसका साझी नहीं,उसी के लिए बादशाहत है और उसी के लिए तारीफ़ है,वही ज़िन्दगी देता है और वही मौत देता है और वह ज़िन्दा है कभी ना भरेगा, उसी के हाथ में हर क़िस्म की भलाई है और वह सब कुछ कर सकता है ।
पांचवा कल्मा रद्दे कुफ़्र
अल्लाहुम्म इन्नी अउज़ु बिक मिन्अन्उश्रिक बिक शैअं व अना आलमु बिही व अस्तग़फिरुक लिमा ला आलमु बिही तुब्तु अंहु व तबर्रअतु मिनल्कुफ्रि वश्शिर्कि वलमआसी कुल्लिहा व अस्लम्तु व आमन्तु व अक़ूलु लाहा इल्लल्लाहु मुह़म्मदुर्रसुलल्लाह।ऐ अल्लाह बेशक़ मैं तेरी पनाह चाहता हूँ तेरे साथ किसी चीज को शरीक करने से के जिस को मैं जानता हूँ और मैं माफ़ी चाहता हूँ तुझ से उस चीज़ के बारे में के जिसको मैं नहीं जानता हूँ तौबा की मैं ने उससे और बेजार हुआ मैं कुफर से, शिर्क से और हर किस्म की गुनाहों से और इसलाम लाया मैं और इमान लायामैं और मैं कहता हूँ कि ख़ुदाए तआला के सिवा कोइ इबादत के लायक नहीं मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व सल्लम अल्लाह तआला के रसूल हैं ।
ईमाने मुज्मल:
आमन्तु बिल्लाहि कमा हुव बिअस्माइही व सिफातेही व कबिल्तु जमीअ अहकामिही ।इमान लाया मैं अल्लाह तआला पर जैसा कि वह अपने नामों और अपनी सिफतों के साथ है और मैं ने उसके सब हुक्मो को कबूल किया ।
ईमान मुफस्सल:
आमन्तु बिल्लाहि व मलाइकतिही व कुतुबिही व रुसुलिही व अलयौमिल आख़िरिही व अलक़द्रि खैरिही व शर्रिही मिनल्लाहि तआला व अल्बासे बाअदल्मौत ।इमान लाया मैं अल्लाह तआला पर, उसके फ़रिश्तों पर,उसकी किताबों पर,उसके रसूलों पर, कयामत के दिन पर, इस बात पर कि तकदीर की अच्छाई या बुराइ अल्लाह तआला की तरफ से है और मैं इस बात पर इमान लाया कि मरने के बाद फिर दोबारा जिन्दा होना है ।
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